फिर में उसके होंठो को चूमने लगा. अब वो भी मेरे होंठ चूम रही थी, लेकिन आँखे नहीं खोल रही थी. अब मुझे डर भी बहुत लग रहा था. फिर अचानक से कोई आवाज सुनकर में एकदम से खड़ा हो गया और जल्दी से बाहर निकल गया, ताकि अगर कोई हो तो में कहूँ कि पानी पीने निकला था. अब मेरी आंटी अपने बेड पर नहीं थी. फिर में पानी पीने किचन में गया, तो मेरी आंटी पानी पी रही थी.
आंटी ने कहा कि आज बहुत ज़्यादा सर्दी है. तो तब मैंने कहा कि हाँ और फिर में पानी पीकर कमरे में आया. तो तब आंटी भी आ गयी और डबल बेड पर सुनीता के पास ये कहकर सो गयी कि पास वाले रूम में ज़्यादा सर्दी है. फिर में गॉड को थैंक्स कहने लगा कि अच्छा हुआ की आंटी ने नहीं देखा वरना हंगामा हो जाता. फिर में टॉयलेट जाकर अपने हाथ से अपने लंड से पानी निकाल आया. फिर कुछ दिन तक ऐसे ही चला. अब मुझे जब भी कोई मौका मिलता तो में उसके शरीर को टच करता था.
अब मुझे एक रात नींद नहीं आ रही थी, तो तब रात के करीब 2 बजे सुनीता को रूम से बाहर जाते देखा तो में भी चुपचाप उसके पीछे रूम से बाहर निकल गया. अब वो टॉयलेट करने गयी थी, टॉयलेट का दरवाजा अंदर से बंद था और में बाहर ही खड़ा था. फिर कुछ देर के बाद उसने दरवाजा खोला और जैसे ही दरवाजे से बाहर निकलने लगी तो मैंने उसका रास्ता रोक लिया. फिर वो कुछ नहीं बोली और में उसे पुश करता हुआ टॉयलेट में ले गया और टॉयलेट का दरवाजा अंदर से बंद करके उसे पागलों की तरह चूमने लगा था. वो कुछ नहीं बोली और सिर्फ़ किस करने लगी थी. फिर मैंने उसके होंठो को चूमा और चाटा, गालों को चूमा और अपना एक हाथ उसके शरीर पर फैरने लगा था. अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. फिर मैंने उसकी कमीज के बटन खोल दिए और उसकी कमीज उतार दी. अब उसकी ब्रा में क़ैद उसके बूब्स मुझसे कहने लगे थे कि जल्दी से हमें आज़ाद करो मेरी जान.
फिर मैंने उसकी ब्रा भी हटा दी और जल्दी से अपनी टी-शर्ट उतार दी. अब में उसके बूब्स से खेलने लगा था और उसके निपल्स को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा था. अब सुनीता मेरे बालों को सहला रही थी. अब हम कुछ भी नहीं कर रहे थे. फिर मैंने उसका लोवर नीचे कर लिया और नीचे बैठकर उसकी टाँगो और जांघो पर किस करने लगा था. अब मेरे हाथ बहुत तेज़ी से चल रहे थे, मुझे लगा कि थाली भरकर 36 भोग सामने है और इसे साफ़ करना है. फिर मैंने खड़े होकर अपनी पैंट उतार दी. अब हम दोनों सिर्फ़ चड्डी में थे. फिर मैंने उसे ऊपर से लेकर नीचे तक खूब चूमा, चाटा, अब मेरा लंड बिल्कुल तैयार था. फिर मैंने उसकी पेंटी उतार दी, यह मेरा पहला अनुभव था मैंने सेक्स के बारे में सिर्फ़ फ़िल्मो से सीखा था और यह सुनीता का भी पहला अनुभव था.
फिर में उसकी चूत पर अपना एक हाथ फैरने लगा और लंड कहाँ जाता है, वो जगह अपनी उंगली से तलाश कर रहा था. अब मुझे वो जगह मिल गयी थी. फिर मेरी उंगली जैसे ही सुनीता की चूत में गयी, तो वो सिसकियाँ लेने लगी. अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था, उसकी चूत गीली हो गयी थी. अब वो मुझको ज़ोर से खुद से चिपकाने लगी थी. फिर मुझे लगा कि अब हमें देर नहीं करनी चाहिए तो में अपनी चड्डी उतारकर अपना लंड उसकी चूत में डालने की नाकामयाब कोशिश करने लगा, क्योंकि वो हाईट में मुझसे छोटी थी और में टांगो को नीचे करके भी कोशिश कर रहा था, लेकिन में नहीं कर पा रहा था.
मैंने टॉयलेट के फर्श पर उसे लेटा दिया. अब उसने अपनी आँखे बंद कर दी थी. फिर में उसके ऊपर आया और उसकी दोनों टांगे ऊपर करके अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा, लेकिन मेरा लंड सही निशाने पर नहीं लग रहा था. फिर मैंने अपनी उंगली को उसकी चूत में डालकर सही जगह देखी और अपना लंड उस जगह पर सेट करके थोड़ा सा पुश किया तो मेरा लंड अभी थोड़ा सा ही अंदर गया था कि वो झटपटाने लगी और मुझसे बोली कि बाहर निकालो इसे, मुझे बहुत दर्द हो रहा है. तो में वहीं रुक गया.
फिर थोड़ी देर के बाद मैंने फिर से पुश किया, तो वो धीरे से चिल्लाई उईईईईईई माँ, आआअ ये तो बहुत दर्द कर रहा है. अब में उसके बूब्स को दबाने लगा था और उसके गालों को चूमने लगा था. फिर मैंने अपना लंड थोड़ा सा बाहर करके एकदम से ज़ोर लगाया. तब वो बोली कि नन्नू प्लीज इसे बाहर निकालो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है. अब में ऐसे ही लेटे-लेटे उसे प्यार करने लगा था. अब उसकी आँखों में से आँसू आने लगे थे. फिर मैंने थोड़ा सा अपना लंड बाहर निकाला और धीरे-धीरे अंदर करने लगा था. अब वो तड़प रही थी. फिर मैंने अपने लंड को और ज़्यादा अंदर कर लिया और उसके जवाब का इन्तजार करने लगा. फिर मुझे लगा कि अब वो पहले से अच्छा महसूस कर रही है. फिर में अपनी कमर को जल्दी-जल्दी अंदर बाहर करने लगा, उसकी चूत बहुत टाईट थी.