इससे अच्छी तो आभा ही है ! मिनी जैसी खूबसूरत बला को चोदने के लिये मन का शैतान जाग उठा। यानी अपनी मस्ती लो और उसे रगड़ कर चोदो और चल दो… उस पर दया करने की जरूरत नहीं है… मैंने उसके नरम गद्दे पर उसके साथ ही छलांग लगा दी। मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसके सबसे प्यारे अंग जो मुझे अच्छे लगते थे… उसे एक एक करके दबाना और मसलना चालू कर दिया। उसका टॉप उतार कर एक तरफ़ फ़ेंक दिया। उसके कोमल, गोरे पर वासना से भरपूर स्तन कठोर हो चुके थे। मैं उसे अपने मुख में लेकर काटने और चूसने लगा। मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत पर जम गया। पर अप्रत्याशित रूप से मेरे जंगलीपने में उसे आनन्द आ रहा था। मैं उसके होंठों को भी चूसने और काटने लगा।
कुछ देर में मेरे पूरे कपड़े उतर चुके थे। मिनी भी नंगी हो चुकी थी। मैंने अपना मोटा लण्ड उसके मुख में घुसेड़ दिया। तभी मुझे लगा कि दरवाजे पर से कोई हमें देख रहा है।
मैंने अपना ध्यान फिर से मिनी की ओर केन्द्रित किया और वहशीपने से उसे नोचने खसोटने लगा,”मेरी मिनी, तेरी चूत मारूं … भोसडी की… चूस मेरा लौड़ा… ”
मेरी गालियाँ सुन कर वो और उत्तेजित हो गई।
“मिनी जी… आज तो आपका भोसड़ा चोद कर कीमा बना दूंगा !” मिनी जाने क्यूं मेरी गालियां सुन कर और भड़क रही थी।
“क्या कहा मेरे राजा… भोसड़ा… आह ले … मेरा भोसड़ा ले ले… ” उसने मेरा लण्ड मुख में दबा कर चूसना चालू कर दिया। मैं घूम कर मुख नीचे करके उसका भोसड़ा चाटने लगा और तीन अंगुलियां अन्दर डाल दी। मिनी ने मुझे इशारा किया तो मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया। अब हम दोनों मस्ती से एक दूसरे का लण्ड और भोसड़ा चूस रहे थे… उसकी चूत भूरी और गोरी थी, नरम भूरी झांटे, उसका फ़डकता हुआ दाना गुलाबी रंग से लाल हो गया था। चूत अन्दर से खूब पानी छोड़ रही थी। दाना चूसते ही उसकी हालत नाजुक हो जाती थी। इसी रगड़ा-रगड़ी में मिनी के मुख से आह निकली और उसके भोसड़े से रती रस निकल पड़ा। मैं अभी झड़ना नहीं चाहता था।
“मिनी, बस अब मत चूसो, मेरा निकल जायेगा… !”
“आह जो… … बस, कुछ मत बोल … तेरा लौड़ा आज तो खा जाऊंगी मैं… ” वो नहीं मानी।
तब मैंने अपना लण्ड उसके मुख में दबा दिया… शायद गले के पास तक चला गया। तभी मेरा काम रस उबल पड़ा और वीर्य उसके मुख में निकल पड़ा। उसे मौका ही नहीं मिला और वीर्य उसके गले से उतरने लगा।
मुझे फिर दरवाजे से सिसकारी सुनाई पड़ी। उसने मुझे हटाने की कोशिश की पर तब तक मेरा सारा वीर्य उसके मुंह में खल्लास हो चुका था।
“जो साले, हारामी… ये क्या किया… ”
“सॉरी मिनी… अपने आप निकल गया… ”
“मेरे प्यारे कुत्ते… मजा आ गया … अब ऐसा ही करना… तूने तो सभी को पीछे निकाल दिया… ”
“आह्… मैं तो समझा था कि आपको बुरा लगा… ”
वह उठी और अलमारी से कुछ ड्राई फ़्रूट ले आई। ज्यूस के साथ कुछ देर तक हम नाश्ता करते रहे। तब तक हम एक दूसरे को किस करते रहे और बदन की गोलाईयों का लुफ़्त उठाते रहे। वह बार बार खड़े हो कर अपनी चूत चटवाती रही। ज्यूस समाप्त करते ही मेरा लण्ड तन कर तैयार था और मिनी की फ़ुद्दी गरम हो चुकी थी।
“जो … तेरा लण्ड तो सोलिड है… गाण्ड मरवाने लायक है… चल लग जा मेरी पिछाड़ी पर… देखना मस्त कर दूंगी… गाण्ड उछाल उछाल कर… ”
“मिनी तुझे गाली बुरी तो नहीं लगी ना… तेरी मां की भोसड़ी … वगैरह?”
“राजा, चुदाई में तो गालियां चूत में पानी उतार देती है… फ़ाड दे साली बुण्ड को !”
“अह्ह ये बुण्ड क्या होता है…? ”
“मेरी गाण्ड का छेद बुण्ड होता है… !” मिनी कराहते हुये बोली। वासना उस पर बहुत जल्दी सवार होती थी। अभी तो कुछ आरंभ भी नहीं किया था। पर मैंने देर करना ठीक नहीं समझा और उसके चूतड़ों से जा चिपका। वो घोड़ी बनी हुई थी। मैंने उसके चूतड़ों को थपथपाया और चूतड़ चीर कर उसकी बुण्ड पर लौड़ा रख दिया और थूक का लौन्दा उस पर टपका दिया। पर यह क्या… लण्ड सर सर सरकता हुआ ऐसे अन्दर चला गया जैसे वो गाण्ड मराने में अभ्यस्त हो। साथ ही इस बार भी मुझे दरवाजे की ओर से सिसकियां सुनाई दी। उसकी गाण्ड का छेद तो पहले से खुला हुआ था, नरम था… लगता था बहुत से लौड़े ले चुकी थी। पर लौड़ा अन्दर पूरा बैठते ही उसने गाण्ड को भींच लिया,”लगा अब झटके, मां के लौड़े… ”
मैं मुस्करा उठा… मैंने लण्ड खींच कर बाहर निकाला और दम लगाकर अन्दर ठूंस दिया।
“हाय री… लग गई मुझे तो… ” मिनी तड़प उठी।
“मिनी जी भारतीय गांव का लौड़ा है… शहरी लण्ड नहीं है… देसी घी पीता है… !”